उल्टे पैर
कोई भी मुझसे बात नही करता कोई भी मुझे प्यार नही करता अरे मैं गरीब हूं तो इसमें मेरा क्या दोष है ;क्या गरीब होना कोई गुनाह है ;
गाँव से दूर नदी के पुल पर बैठा वह यही सब सोंचकर आसुँ बहा रहा था ।
मन ही मन सोच रहा था काश कुछ ऐसा हो जाए जो मुझे इस गरीबी नाम की मनहुशियत से छुटकारा मिल जाए ;
मंगलू नाम का यह लड़का नदी से लगे गाँव विलासपुर का रहने बाला एक बेहद खूबसूरत निहायत ही शरीफ इंसान था ;सब उसे बहलाकर अपना काम करा लेते फिर चलता करते 50---60रु देकर कोई भी उससे ढंग से बात न करता यहां तक छोटे छोटे बच्चे भी उसे चिढ़ाते थे, बजह थी इसकी वो थी मंगलू का गरीब होना कहते न चमत्कार को नमस्कार होता है,आज गाँव के मुखिया ने उससे सारा दिन काम कराया शाम को पूरी मजदूरी तो दूर आधी भी न दी इसी बात से दुखी मंगलू नदी पर बने पुल पर बैठा दुखी हो रहा था मन मे आ रहा था इसी नदी में डूबकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ले।
तभी किसी का स्पर्श ने उसके लिए चौंका दिया पीछे मुड़कर देखा तो एक बहुत ही खूबसूरत सी लड़की उसके कंधे पर हाथ रखकर खड़ी थी उसे देखकर वह सट पटा गया अरे तुम कौन ???
अरे अरे डरो नहीं मैं पास के गांव की रहने वाली से हूं तुम्हें इस तरह अकेले बैठा देगा तो मैं इधर आ गई शाम होने जा रही है अंधेरा गहरा रहा है तुम क्यों बैठे हो इस पुल प;
मंगलू ने अनमने मन से कहा तुम्हें क्या लेना देना आ जाओ तुम अपना काम करो ;
अरे आजकल तो भलाई का जमाना ही नहीं रहा मैं तो इसलिए पूछ रही थी ना कि शाम के बाद से यहां कोई नहीं आता तुम्हें पता है ना यहां पास में ही शमशान है और बुरी आत्माएं इधर मंडराती रहती हैं जाओ अपने घर जाओ;
मंगलू उसकी इस सहानुभूति से खिसिया गया और खीझकर बोला मुझे नहीं जाना अपने घर ;जहां मेरा कोई मान सम्मान नहीं है और रही बात आत्माओं की आत्माएं बुरी होती है तो गांव में रहते हुए जीते जागते इंसान कौन से भले होते हैं वह तो आत्माओं से भी गए गुजरे होते हैं अच्छाई का ढोंग रचाते हैं और इंसान को पागल बनाते हैं अपना काम निकाल कर दूर कर देते हैं ।
तभी वह लड़की उसके पास ही बैठ गयी अच्छा आत्माएं अच्छी होती है क्या???इंसानों से
हां हा बिल्कुल क्यों??
तुमने देखा है किसी आत्मा को??
नहीं मैंने किसी आत्मा को नहीं देखा है पर इंसानों में भी तो आत्माएं होती है जो इंसान जीते जी जैसा होता है मरने के बाद भी वैसा ही रहता है उसकी अच्छे इंसान की आत्मा अच्छी होती है बुरे इंसान की आत्मा बुरी मरने के बाद भी वह कभी किसी का अहित नहीं करती' उसकी बात सुनकर वह लड़की बहुत ही प्रभावित हुई अच्छा!
चलो मुझे बताओ कि तुम्हें क्या परेशानी है शायद मैं तुम्हारी कोई सहायता कर दूंगी
मंगलू ने बहुत गौर से उसको देखा अभी इतनी रात हो गई है तुम अपने घर जाओ तुम्हारे घर वाले तुम्हें ढूंढगे मैं यहीं बैठूंगा।
मान भी जाओ अब ;
तुम भी अपने घर चले जाओ ;
पर मंगलू ने उसकी एक बात ना मानी नहीं मैं आज अपने घर नहीं जाऊंगा; तब लड़की ने कहा चलो तुम मेरे साथ मेरे घर चलो;
नहीं तुम्हारे घर वाले पूछेंगे तो तुम उन्हें क्या बताओगी;
वह तुम मुझ पर छोड़ दो मैं बता दूंगी सब कुछ मैं तुम्हारे साथ चलूँ पर तुम्हारा नाम तक न जानता हूं तुम मेरी कौन लगती हो और तुम्हारा नाम क्या है ?????
लड़की ने कहा मेरा नाम सरिता है मैं यहां पास के जमीदार की बेटी हूं और तुम्हारा नाम क्या है ??
मंगलू ने कहा मैं भी पास के गांव में ही रहता हूं मेरा नाम मंगलू है मेरे माता पिता नही हैं मैं अनाथ हूँ ,;इसी का फायदा उठाते रहते हैं गांव वाले और काम कराने के बाद इतने पैसे भी नहीं देते कि दो वक्त का भोजन भी मैं कर सकूं मेरा नाम मंगलु है।
लड़की ने कहा चलो ठीक है आज से तुम्हारी सभी समस्याएं दूर हो जाएंगी तुम मेरे साथ चलो लड़की आगे --आगे और मंगलू पीछे-- पीछे चल दिया थोड़ी दूर पर खूबसूरत घर मकान बने हुए थे बहुत अच्छी बस्ती थी उसमें जाकर लड़की ने अपने माता-पिता से मिलवाया मंगलू ने हाथ जोड़कर सबको प्रणाम किया;
एक सुंदर चारपाई पर उसे बिठाया गया,;और तरह-तरह के भोजन कराए गए जो कभी स्वप्न में भी न चखे थे।
आज तो यह लग रहा था जीवन भर की भूख से तृप्ति मिल गई, कितना स्वादिष्ट भोजन था अब तो बस जी भर के सोने को मन कर रहा था कहते हैं ना जब पेट भर जाता है तो नींद भी अच्छी आती है मंगलू ने सरिता से कहा अब मुझे बहुत जोर की नींद आ रही है।
तब सरिता ने कहा ठीक है पर सुबह जल्दी उठ जाना इच्छा हो तो यहां पर थोड़ी देर सब से बात कर सकते हो;
पर उसने कहा नहीं मैं कल बात करूंगा और फिर वह वही चारपाई पर सो गया सरिता ने सुबह 4:00 बजे उसे आकर उठा दिया उठो उठो; मंगलू ने कहा नहीं मुझे नहीं तुम जाओ गांव वाले और अन्य लोग देख लेंगे तो सवाल करेंगे मंगलू के साथ-साथ सरिता उसे नदी के पुल के उस पार छोड़ आई
अब तो मंगलू का रोज का ही काम हो गया था शाम को वह रोज सरिता के साथ खूब सारी बातें करता और रात उसी के यहां बिताता था अब उसे अपने जीवन से किसी प्रकार की कोई शिकायत नहीं थी बिना हाथ पैर चलाए अच्छे-अच्छे स्वादिष्ट भोजन मिलते और उसकी मन की बातों को सुनने वाली इतनी सुंदर दोस्त उसे मिल गई थी मन ही मन वह सरिता को प्यार करने लगा था ।
इसी तरह क्रम चलते चलते पूरे 6 महीने हो गए 1 दिन सरिता ने कहा मंगलू तुम छोटा-मोटा कोई काम कर लो ;
मंगलू ने कहा मेरे पास इतना पैसा नहीं है जिससे मैं कोई काम कर लूं; सरिता बोली पैसे की तुम चिंता ना करो मैं सब व्यवस्था कर दूंगी ठीक है ।
अगले दिन रात को जब मंगलू वहां गया तो सरिता ने उसे सुबह घर लौटने से पहले एक पोटली दी और कहा इसे अपने घर जाकर ही खोलना जब उसने घर आकर उस पोटली को खोला तो उसमें बेशकीमती गहने रुपए थे शहर जाकर उसने शहर के एक सुनार के यहां सारे जेवर दिए,और उनसे मिले पैसे से अपना व्यवसाय कर लिया अब तो हर तरफ मंगलू की कदर हो गई थी सब लोग उसे बड़ी सम्मान की दृष्टि से देखते थे जात बिरादरी वाले भी उससे अपनी बेटी का विवाह करना गौरव की बात समझते थे हर कोई आता और उससे कहता कि उसकी बेटी बहुत अच्छी सब कार्य में निपुण है देखने में भी सुंदर सुशील है पर उसके तो सरिता मन भा गई थी ,बात को टाल देता फिर आखिर टाल भी कब तक सकता था तभी एक रात उसने सरिता को सारी बात बताई कि गांव के जो लोग कल तक मुझे पूछते नहीं थे आज मेरे आगे पीछे जी हजूरी करते घूमते हैं इस पैसे में भी बहुत दम है ;सरिता मुस्कुराने लगी हां हां क्यों नहीं सही कह रहे हो तुम ,
तभी मंगलू सरिता तुमने मेरा बहुत साथ दिया है तुम नहीं होती तो मैं इस पुल के नदी के पानी में डूब कर अपनी जीवन लीला समाप्त कर लेता ,
सरिता ने उसके मुंह पर हाथ रख दिया कभी भी ऐसा मत सोचना इंसान को हिम्मत रखनी चाहिए ना कि इस तरह अपनी जीवन लीला को समाप्त कर लेना चाहिए अनजाने में इंसान जल्दबाजी में यह सब काम तो कर लेता है पर वह नहीं जानता उसके बाद उसे अपना बचा हुआ जीवन भटकते हुए गुजारना होता है जब तक उसकी उम्र पूरी नहीं हो जाती वह इधर-उधर भटकता रहता है उल्टे पांव अपने जीवन के दिनों को पूरा करता है।
सरिता की बात सुनकर कहा यह उल्टे पांव की जीवन की गति को पूरा करता है इसका अर्थ क्या है बताओ ना सरिता
ने कहा कि तुम छोड़ो यह सब बातें फिर किसी दिन बताती हूं पर मंगलू जिद करने लगा नहीं नहीं मुझे तो आज ही जानना है तुम्हारी उम्र तो मुझसे भी कम है पर तुम यह सब कैसे जानती हो तब उसने कहा फिर तुम यह मान लो कि आज का दिन हमारा आखरी मिलन का दिन है शायद मेरी हकीकत जान लेने के बाद तुम कभी मुझसे नहीं मिलोगे। मंगलु मुस्कुराया अरे पगली ऐसा भी कहीं हो सकता है मेरा तो सब कुछ तुझसे ही है मैं तुझे छोड़कर कहां जाऊंगा इतना स्वार्थी नहीं हूं मैं इस दुनिया की तरह,; सरिता ने कहा सच बोले ;
हां तेरी कसम मैं तुझे कभी भी छोड़कर नहीं जाऊंगा
तब सरिता ने कहा सुनो यहां पास में कोई गांव नहीं है ना मैं किसी जमीदार की बेटी हूं और जो बस्ती में मैं तुम्हें रात में ले जाती हूं वह हमारी श्मशान बस्ती है; इसीलिए जिन लोगों से मैं तुम्हें मिलाती हूँ वह मेरे माता पिता नहीं है बल्कि सब हमारी तरह ही भटकती हुई आत्मा हैं और एक दूसरे से सब ने अपना संबंध माता पिता बहन भाई जैसी तुम्हारी दुनिया में होते हैं वैसे ही बना लिया है।
मैंने भी कम उम्र में इस दुनिया से परेशान होकर इस नदी में कूदकर आत्महत्या कर ली थी तब से लेकर आज तक भटक रही हूँ ,मेरी उम्र पूरी नहीं हो जाती तब तक मैं यूं ही भटकती रहूंगी मैं एक भूत हूं। उसकी बात सुनकर मंगलू बहुत जोर जोर से हंसा ए पागल लड़की मुझे क्यों डराती है मैं क्या डर जाऊंगा तुम्हारी इन बेकार की बातों से प्यार किया है कभी भी तुम्हें छोड़कर नहीं जाऊंगा
सरिता ने कहा अच्छा भूत की क्या पहचान होती है ।
तो मंगलू ने कहा भूत तो नर कंकाल के बने हुए होते हैं उनका कोई शरीर नहीं होता।
हां ठीक कहा तुमने;
तो फिर तुम ना कंकाल की बनी हुई क्यों नहीं हो तुम्हारा तो शरीर है तुम तो इतनी खूबसूरत हो;
अच्छा दूसरी पहचान क्या होती है ;हां मैंने सुना था गांव के बड़े बूढ़े लोग बात करते हैं भूत के पैर उल्टे होते हैं ।
अच्छा हां तो ठीक है अब तुम अपने में थोड़ा सा साहस इकट्ठा कर लो कहकर सरिता ने उससे थोड़ी दूर जाकर खड़ी हो गई जहां चांद की रोशनी आ रही थी चांद की रोशनी जैसे ही सरिता के शरीर पर पड़ी उसका रूप गायब हो गया और उसका सुंदर रूप एक कंकाल में बदल गया जिसे देखकर मंगलू की चीख निकल गई और देखते ही देखते हैं उसे ऊपर से नीचे तक देखा नजर पैरों पर पड़ी तो वह दंग रह गया उसके पैर उल्टे थे यह देखकर मंगलू बेहोश होकर गिर पड़ा फिर जब उसे होश आया तो सरिता उसे गोद में लिए बैठी थी उसे सब याद आ गया क्या हुआ था तो झट से पीछे हटकर आंखें खोल कर बैठ गया।
सरिता मुस्कुरायी मैंने तो पहले ही कहा था कि मेरी सच्चाई जानने का प्रयास ना करो अब तुम भी जान जाओगे ।इंसानों में मिल जाओगे यही तो इस दुनिया का नियम है ।
तभी मंगलू ने उसका हाथ पकड़ा नहीं नहीं मैं कभी भी स्वार्थी इंसान नहीं हूं मैं समझता हूं।
तभी सरिता ने अपने हाथ से उसका हाथ हटा दिया जाओ मंगलू लौट जाओ अपनी दुनिया में हमारी उम्र जब तक पूरी नहीं हो जाती हमें उल्टे पैर चलना है-----
नही मैं तुम्हारे बिना नही रह पाऊंगा।
मंगलू जब हम मनुष्य ईश्वर के दिए हुए इतने सुंदर शरीर को इतने प्यारे जीवन को त्याग कर आत्महत्या कर लेते हैं तब ईश्वर हम से रुष्ट हो जाते हैं और यह ढांचा ही हमें प्रदान करते हैं और हमारे पैर उल्टे कर देते हैं कि कहते हैं जब तुम्हें हमने सीधा जीवन व्यतीत करने के लिए दिया तब तुमने यह उल्टा काम किया।
जीवन में संघर्ष तो आते ही रहते हैं तो कभी भी हमारे लिए इस तरह आत्महत्या जैसा जघन्य अपराध नहीं करना चाहिए वरना इस जन्म और उस जन्म दोनों जन्म में हमें उल्टे पांव चलकर अपनी बची हुई उम्र पूरी करनी पड़ती है अच्छा मंगलू अब मैं चलती हूं तुम्हारा और मेरा साथ यही तक का था जाओ जाकर अपनी एक नई दुनिया बसा लो; नहीं जा सकता मैंने तुम्हें लेकर बहुत सारे सपने देखता हूं तुम ही तो मेरी जीवनसंगिनी हूं मैं तो तुम्हें अपना सबकुछ मान चुका हूं वह बिलखने लगा!
सरिता ने मंगलू को बड़े प्यार से समझाया कि अभी तो मुझे अपने जीवन के बचे हुए दिन इन्हीं उल्टे पैरों से पूरे करने हैं पर मैं तुमसे वादा करती हूं मैं आऊंगी लौटकर तुम्हारे पास 5साल बाद जब मेरी उम्र पूरी हो जाएगी 5 साल ही रह गए हैंमुझे इस योनि में तब मैं आऊंगी तुम्हारे घर तुम्हारे साथ रहने ।
मंगलू ने कहा नहीं हम दोस्त तो रह सकते हैं।
सरिता बोली नहीं जब भी कोई इंसान हमारी सच्चाई जान लेता है तो उसे हम अपने साथ नहीं रख सकते और बहुत जल्दी तुम यहां से चले जाओ कभी इस तरफ लौट कर मत आना अगर पुल पर आओ तो इस बस्ती की तरफ कभी मत आना क्योंकि वहां रहने वाले सभी लोग तुम्हें जीवित नहीं छोड़ेंगे क्योंकि??? तुमने सही कहा जैसे सब मनुष्य जीते जी ना अच्छे होते हैं ना बुरे उसी तरह कुछ आत्माएं भी न मरके अच्छी होती है और ना जीते जी ।
आखरी बार मंगलू ने उसे गले लगाया और वह बोली तुम पीछे मुड़कर मत देखना बरना जो भी तुम्हारे पास है सब कुछ खत्म हो जाएगा धन वैभव सब सरिता ने अपने भीगे मन से उसे विदा कर दिया हमेशा के लिए।
और मंगलू भी उल्टे पांव लौट गया अपने गांव की तरफ और गांव में कुछ दिन तो वह दुख में रहा फिर जब उसका मन बहुत करता है अक्सर नदी के पुल से उस बस्ती को देखता तो उड़ती हुई राख के सिवा कुछ नहीं दिखता पर उसके मन में बसी हुई सरिता की मूरत वह अपने साथ लिए जीवन पथ पर बढ़ गया क्योंकि सरिता से उसने वादा किया था वो सही से जीवन व्यतीत करेगा।
पास के गाँव की एक सुंदर लड़की से विवाह कर सुखी जीवन व्यतीत कर रहा था पर ह्रदय पटल पर उल्टे पैरों की अमिट छाप अंकित थी जो इस जन्म धूमिल होने से रही।
शादी के 5 साल बाद उसकी पत्नी ने एक बहुत सुंदर बेटी को जन्म दिया जब मंगलू ने उस बेटी का रंग रूप देखा मारे खुशी के उछल पड़ा बिल्कुल सरिता जैसा था आज बहुत खुश था उसने इस बात की बहुत प्रसन्नता थी की सरिता ने अपने उल्टे पैरों से मुक्ति पा ली है और उसने सरिता नाम है इसका यह कह कर बच्ची को गले लगा लिया मेरी सरिता लौट आयी उसे उल्टे पैरों से मुक्ति मिल गई।
RISHITA
29-Sep-2023 07:28 AM
Amazing
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